मेरी दीवानगी की अब कोई हद नहीं
तेरी सूरत के सिवा मुझे कुछ याद नहीं
तेरी धड़कनों में बसी है मेरी जान
तेरे सिवा मुझ पे किसी का हक़ नहीं।
मेरी दीवानगी की अब कोई हद नहीं
तेरी सूरत के सिवा मुझे कुछ याद नहीं
तेरी धड़कनों में बसी है मेरी जान
तेरे सिवा मुझ पे किसी का हक़ नहीं।